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Kasturi Kundal Basai
By: Osho
धरà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ है? शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में, कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•ांडों में या तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ अंतरातà¥à¤®à¤¾ में, तà¥à¤®à¤®à¥‡à¤‚, तà¥à...¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ चेतना की पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ अगà¥à¤¨à¤¿ में? धरà¥à¤® कहां है? मंदिरों में, मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ में, गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में? आदमी के बनाठहà¥à¤ मंदिर-मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® हो कैसे सकता है? धरà¥à¤® तो वहां है जहां परमातà¥à¤®à¤¾ के हाथ की छाप है। और तà¥à¤®à¤¸à¥‡ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उसके हाथ की छाप और कहां है? मनà¥à¤·à¥à¤¯ की चेतना इस जगत में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महिमापूरà¥à¤£ है। वहीं उसका मंदिर है; वहीं धरà¥à¤® है | धरà¥à¤® है वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और समषà¥à¤Ÿà¤¿ के बीच पà¥à¤°à¥‡à¤® की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¤¿--à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® की जहां बूंद खो देती है अपने को सागर में और सागर हो जाती है; जहां सागर खो देता है अपने को बूंद में और बूंद हो जाता है; वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और समषà¥à¤Ÿà¤¿ के बीच धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤·à¤£, जब दो नहीं बचते, à¤à¤• ही शेष रह जाता है; पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ का à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पल, जहां वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो शूनà¥à¤¯ हो जाता है; और समषà¥à¤Ÿà¤¿ महावà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की गरिमा से à¤à¤° जाती है। इसलिठतो हम उस कà¥à¤·à¤£ को ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार...। वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो मिट जाता है, समषà¥à¤Ÿà¤¿ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ छा जाता है; सारी समषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¤• महावà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का रूप ले लेती है। पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के कà¥à¤› मà¥à¤–à¥à¤¯ विषय-बिंदà¥: काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§, लोठसे मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उपाय मान और अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ में कà¥à¤¯à¤¾ फरà¥à¤• है? शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का कà¥à¤¯à¤¾ अरà¥à¤¥ है? संकलà¥à¤ª का कà¥à¤¯à¤¾ अरà¥à¤¥ है? धरà¥à¤® और संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ में कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥‡à¤¦ है? जीवन का राज कहीं छिपा है?
Book Details
- Author: Osho
- Language: English
- Published on: 1976
- Publisher: Jeevan Jagruti Kendra Prakashan
- ISBN10: 1976300013
- ISBN13: 1976300013
- Age Group: 15 & Above